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आंधी तूफान का कहर…ठेकेदारों की मनमानी और शासन की ढुलमुल नीति…फिर क्यों ना हो जनता परेशान…अंधेरे में आधा शहर

विजय केशरवानी ने कहा...अधिकारियों की काटेंगे बिजली

बिलासपुर—पिछले दिन जबरदस्त आंधी तूफान ने शहर ही नहीं बल्कि बिजली विभाग को भी झकझोर कर रख दिया है। आंधी तूफान ने परेशानी पैदा करने के साथ ही शासन को हजारों करोड़ों का नुकसान पहुंचा है। यद्यपि  24 घंटे के भीतर आधे शहर को बिजली मिलने लगी। लेकिन 72 घंटे बाद भी आधा शहर या तो अंधेरे में है..या फिर बिजली की आंख मिचौली का सामना कर रहा है। जानकारी के अनुसार बिजली अव्यवस्था के बाद जनता को होने वाली परेशानी के लिए जिम्मेदार या तो शासन है..या फिर ठेकेदार….।  खबर है कि आंधी तूफान के बाद ठेकेदारों ने काम करने से ना केवल इंकार किया। बल्कि बकाया बिल भुगतान के बाद ही खंभे पर चढ़ने की बात कही। सवाल उठता है कि आखिर बिजली विभाग में इस बदहाली के लिए जिम्मेदार कौन है। 

पिछले दिन यानी एक दिन पहले बिलासपुर की जनता को पिछले एक दशक के सबसे बड़े आंधी तूफान का सामना करना पड़ा। कई पेड़ धाराशाई हो गए तो कई लोगों को भारी आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा। आंधी तूफान की चपेट में आकर बिजली व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई। जगह बिजली का तार टूटने की शिकायत मिली। करीब 24 घंटे तक शहर को अंधेरे का सामना करना पड़ा। इस दौरान बिजली विभाग को काफी आक्रोश का सामना करना पड़ा। खबर यहां तक मिली कि बिजली विभाग के अधिकारी जनता की नाराजगी से बचने घर में दुबक गए। लेकिन देर रात्रि तक धीरे धीरे बिजली के लौटने से लोगों का गुस्सा शांत हुआ। बावजूद इसके पूरे शहर को पूरी तरह से 72 घंटे तक बिजली का इंतजार करना पड़ा।

            जानकारी देते चलें कि बिजली विभाग में दो तरह के कर्मचारी काम करते हैं। कर्मचारियों का एक वर्ग ठेकेदारी में काम करता है तो दूसरा वर्ग सरकारी होता है। मेन्टनेन्स का जिम्मा मूल रूप से ठेकेदार का होता है। लेकिन आंधी तूफान से भंयकर तबाही के बाद ठेकेदार ने काम करने से इंकार कर दिया। इसके चलते तबाही के 72 घंटे बाद भी शहर मे बिजली नहीं पहुंच पा रही है।

समस्या बड़ी…कर्मचारियों का टोंटा

संभागीय बिजली कार्यालय के एक प्रमुख अधिकारी ने बताया कि हमारे यहां नियमतित कर्मचारियों का टोटा है। इसके चलते विभाग को ठेकेदारों की मनमानी का सामना करना पड़ता है। तीन साल पहले लाइन मैन  के लिए साढ़े तीन हजार पद का विज्ञापन निकाला गया था। लेकिन मामला कोर्ट चला गया। इस दौरान हमारे कई कर्मचारी नियमित अंतराल में रिटायर्ड होते गए। पद भी खाली होता गया। आज भी मामला कोर्ट में है। मजबूरी में हमें ठेकेदारों की तरफ देखना पड़ता है। बिजली विभाग ने भी रिटायर्ड बिजली कर्मचारी के खिलाफ संविदा में लाइनमैन रखा। लेकिन 6 महीने सेवा देने और ट्रैंड होने के बाद कर्मचारी दूसरी जगह चले जाते हैं।

ठेकेदारों ने बनाया विभाग पर दबाव

अधिकारी ने बताया कि निश्चित रूप से इस बार तेज आंधी तूफान आया। शहर समेत बिजली विभाग को बड़ा नुकसान हुआ है। इस दौरान ठेकेदारों ने भी मौका देखकर चौका मारा। अपना पिछला बकाया भुगतान करने का दबाव बनाया। काफी मान मनौव्वल क बाद ठेकेदार काम करने आये। बावजूद इसके बिजली हमने बिजली वयवस्था को बहाल करने का भगीरथ प्रयास किया है।

ठेकेदारों को 7 करोड़ बिल बकाया

अधिकारी ने बताया कि बिजली विभाग पर ठेकेदारों का सात करोड़ रूपया बकाया है। बकाया राशि साल 2022-2023-2024 का है। विभाग ने जांच पड़ताल के बाद 16 करोड़ का भुगतान भी कर दिया है। ठेकेदार भुगतान के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं। मामला फिलहाल जांच कमेटी के पास है। हमने ठेकेदारों से सवाल किया है कि आखिर वजह क्या है कि अभी तक पिछले चार का भुगतान क्यों नहीं किया गया। सवाल पर ठेदार चुप है। उत्तर आता है कि हमने काम का व्यौरा एसी, जेई को दिया है। वही लोग बताएंगे कि भुगतान क्यों नहीं हुआ।

यदि जेई से लेंगे जानकारी

 मामले में संभागीय अधिकारी अम्बष्ट ने कहा कि यदि एसी और जेई ने ठेकेदारों के काम को फ्रूफ किया तो हम बिना किसी सवाल के बिल को अप्रूव्ड कर देंगे। बावजूद इसके ठेकेदार को किये गए काम की जानकारी देनी ही होगी। अम्बष्ट ने बताया कि तूफान की गति अधिक थी। बिजली व्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। जगह जगह तार टूटने समेत ट्रांसफर पर असर की जानकारी मिली है। बावजूद इसके जल्द ही परेशानियों को दूर कर लिया जाएगा।

जिला कांग्रेस नेता ने किया बिजली काटने,घेराव का एलान

बदहाल बिजली व्यवस्था के खिलाफ जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी ने तिफरा स्थित संभागीय बिजली कार्यालय के घेराव का एलान किया है। विजय केशरवानी ने बताया कि जनता अंधेरे में  हैं..लेकिन बिजली विभाग के अधिकारी दीपावली मना रहे हैं। उनके घर की बिजली नहीं जाती है। आंधी तूफान का बहाना नहीं चलेगा। पार्टी ने फैसला किया है कि 8 मई के बाद बैठक कर बिजली विभाग का घेराव करेंगे। अधिकारियों की बिजली भी काटेंगे।

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