और कितनी मौतें देखना चाहती है बलरामपुर पुलिस–प्रशासन? — ध्वनि प्रदूषण पर खुलेआम हाईकोर्ट के आदेशों की धज्जियाँ!

बलरामपुर–(पृथ्वीलाल केशरी) रामानुजगंज जिले में पुलिस और प्रशासन की लापरवाही अब जानलेवा रूप लेती जा रही है। धार्मिक आयोजनों के नाम पर ध्वनि प्रदूषण का ऐसा तांडव मचा हुआ है कि मानो इस जिले में न कानून का डर बचा है, न प्रशासन की जवाबदेही।
हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद ध्वनि सीमा का पालन न तो आयोजक कर रहे हैं और न ही पुलिस विभाग इसे लागू कराने में कोई रुचि दिखा रहा है।
डंके की चोट पर बज रहा डीजे — पुलिस मूकदर्शक
त्योहारी आयोजनों में समितियाँ खुलेआम डीजे बॉक्स को कानफाड़ू आवाज़ में बजा रही हैं। इससे पंडाल के आसपास रहने वाले बुजुर्ग, महिलाएँ और बच्चे मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं। शिकायत करने पर थानेदार और पुलिस अधिकारी धार्मिक भावनाओं का हवाला देकर कार्रवाई करने के बजाय शिकायतकर्ताओं को ही ‘ज्ञान’ देकर शांत करा देते हैं।
पुलिस की यह कार्यप्रणाली न केवल संवेदनहीनता दर्शाती है, बल्कि यह साफ इशारा करती है कि जिला प्रशासन ने ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं।
16 वर्षीय किशोर की मौत से भी नहीं जागा प्रशासन
राजपुर थाना क्षेत्र में गणेश विसर्जन के दौरान डीजे पर नृत्य करते समय 16 वर्षीय प्रवीण गुप्ता की दर्दनाक मौत ने पूरे जिले को झकझोर दिया था। नाचते-नाचते अचानक वह गिर पड़ा और उसकी मौके पर ही जान चली गई। इस हादसे में एक महिला भी बेहोश होकर अस्पताल पहुंचाई गई।
यह घटना न केवल एक परिवार की खुशियाँ छीन ले गई, बल्कि प्रशासन की व्यवस्था पर भी करारा तमाचा थी। पूरे नगर में गहरा शोक और रोष था, लोग दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। लेकिन प्रशासन ने न तो डीजे संचालकों पर कोई ठोस कार्रवाई की और न ही नियंत्रण की कोई ठोस योजना बनाई।
हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन, प्रशासन पर सवाल
हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि धार्मिक आयोजनों में निर्धारित समय और ध्वनि सीमा से अधिक डीजे बजाना दंडनीय अपराध है। इसके लिए आयोजन समिति और डीजे संचालक दोनों जिम्मेदार माने जाएंगे, साथ ही प्रशासन की जवाबदेही भी तय है।
लेकिन बलरामपुर जिले में इन आदेशों का न खुलेआम उल्लंघन हो रहा है — और न पुलिस अधीक्षक, न ही कलेक्टर ने इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाया है।
प्रशासन की यह चुप्पी क्या किसी और मौत का इंतज़ार है?
कड़े सवाल पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर से
क्या जिला प्रशासन हाईकोर्ट के आदेशों को कूड़ेदान में फेंक चुका है? डीजे से हुई किशोर की मौत के बाद भी कार्रवाई न होना किसकी मिलीभगत दर्शाता है? क्या बलरामपुर में धार्मिक आयोजनों के नाम पर कानून से ऊपर माफिया और आयोजक हो चुके हैं?क्या अगली मौत के बाद भी प्रशासन ‘धार्मिक भावनाओं’ के नाम पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेगा?
प्रशासन की ढिलाई बन रही जानलेवा
बलरामपुर में प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही अब सीधे नागरिकों की जान पर भारी पड़ रही है। ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून का पालन कराने में पुलिस विभाग और जिला प्रशासन की पूर्ण नाकामी अब जनता के सब्र की सीमा तोड़ रही है।