Chhattisgarh

कुर्सी पर खेती: मंत्री जी की ‘माटी से मोहब्बत’ या ‘कैमरे से संवाद’?

बिलासपुर…छत्तीसगढ़ की राजनीतिक फिज़ा में इन दिनों एक खास तस्वीर की खूब चर्चा है — महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े खेत में धान के पौधों के साथ मुस्कराते हुए नजर आ रही हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि ये खेत में मेहनत करते किसान की तस्वीर नहीं, बल्कि एक साफ-सुथरी कुर्सी पर बैठी हुई मंत्री जी की तस्वीर है — और कैमरे का एंगल इतना परफेक्ट कि लगे मानो खेत में नहीं, किसी विशेष ‘कृषि-प्रेरित दृश्यांकन’ में भाग ले रही हों।

मंत्री जी ने इस तस्वीर के साथ लिखा, “माटी के सुगंध ले पाएंव।” मगर कुछ किसानों का कहना है कि वे खुद कीचड़ में धंसे हैं, खाद की लाइन में खड़े हैं, और उन्हें तस्वीर नहीं, समाधान चाहिए।

अब ये तो तय है कि मंत्री पद कोई फैशन रैम्प नहीं है, लेकिन मंत्री जी ने यह साबित कर दिया कि माटी से जुड़ाव साड़ी की तहों में, कैमरे की मुस्कान में और फेसबुक की पोस्ट में भी व्यक्त किया जा सकता है। खेत की मिट्टी इस तस्वीर में थोड़ी ज़्यादा साफ़ दिख रही है — मानो पहले ही झाड़ू-पोंछा हो चुका हो!

छत्तीसगढ़ के कई जिलों में किसान खाद और कीटनाशकों की किल्लत से परेशान हैं। मंडियों में लंबी कतारें, भरे पसीने, और खाली हाथ लौटते लोग – यही उनकी रोज़मर्रा की तस्वीर है। पर सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर में खेत भी शांत, चेहरा भी चमकदार और कुर्सी भी आरामदायक

यह दृश्य देखकर कुछ लोगों ने टिप्पणी की, “धान की रोपाई अब परंपरा नहीं, प्रेस-क्लब की कॉन्फ्रेंस जैसा लग रहा है – थोड़ा फोटो, थोड़ा भाव, थोड़ा प्रचार।”

व्यंग्य में भी विनम्रता ज़रूरी है, इसलिये हम यह मानते हैं कि मंत्री जी का खेत से जुड़ाव सच्चा हो सकता है। पर अगर खेत की मिट्टी को सिर्फ कैप्शन में महकाया जाएगा, और किसानों की समस्याओं को फेसबुक की प्रतिक्रिया तक सीमित रखा जाएगा, तो सवाल उठेंगे ही।

अस्मिता की बात अच्छी है, पर वह कुर्सी पर बैठकर थरहा पकड़े जाने से नहीं, नीतियों और ज़मीनी कार्यवाही से दिखाई देती है।

Back to top button