Sawan Somwar Chaturthi 2025- पहले सोमवार पर श्रवण नक्षत्र का ‘महासंयोग’, 5 शुभ योगों में करें शिव-गणेश की पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना
इस दिन शिव-गणेश की पूजा से भक्तों को पिता-पुत्र का एक साथ आशीर्वाद प्राप्त होगा।

Sawan Somwar Chaturthi 2025/दिल्ली। इस साल भगवान शिव का प्रिय महीना सावन 22 जुलाई, सोमवार से शुरू हो रहा है और इसका समापन 19 अगस्त को होगा।
Sawan Somwar Chaturthi 2025/अद्भुत संयोग यह है कि सावन माह की शुरुआत ही सोमवार के दिन से हो रही है, जो इसे अत्यंत शुभ और फलदायी बनाता है। शिव भक्तों के लिए यह अवसर किसी उत्सव से कम नहीं है, क्योंकि सावन के पहले ही दिन उन्हें महादेव की उपासना का सौभाग्य प्राप्त होगा।
इस साल का पहला सावन सोमवार ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन एक साथ 5 दुर्लभ संयोग बन रहे हैं।
सावन के पहले सोमवार पर 5 शुभ संयोगों का महासंगम/Sawan Somwar Chaturthi 2025
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 22 जुलाई को बन रहे ये 5 शुभ योग इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ा रहे हैं:
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सावन का पहला दिन ही सोमवार: सावन माह का सोमवार के दिन से ही आरंभ होना अपने आप में एक दुर्लभ संयोग है।
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श्रवण नक्षत्र का संयोग: पहले सोमवार पर ‘श्रवण नक्षत्र’ रहेगा, जो भगवान विष्णु का नक्षत्र माना जाता है। सावन में शिव के दिन पर विष्णु का नक्षत्र होना हरि-हर की कृपा दिलाने वाला माना जाता है।
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आयुष्मान योग: यह योग भक्तों को आरोग्य और लंबी आयु का वरदान देने वाला माना जाता है। इस योग में की गई पूजा विशेष फलदायी होती है।
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सौभाग्य योग: यह योग सौभाग्य में वृद्धि करता है और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
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सर्वार्थ सिद्धि योग: श्रवण नक्षत्र और सोमवार के संयोग से ‘सर्वार्थ सिद्धि योग’ भी बन रहा है, जिसमें किए गए सभी कार्य सिद्ध होते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
पिता-पुत्र (शिव-गणेश) की भक्ति का खास अवसर
भले ही इस दिन संकष्टी चतुर्थी नहीं है, लेकिन किसी भी पूजा का आरंभ भगवान गणेश की वंदना से ही होता है। सावन सोमवार के दिन व्रत और पूजा की शुरुआत प्रथम पूज्य भगवान गणेश की आराधना से की जाएगी और उसके बाद उनके पिता भगवान शिव का अभिषेक होगा। इस प्रकार, भक्तों को एक ही दिन पिता-पुत्र की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सुनहरा अवसर मिलेगा।
सावन सोमवार पूजा विधि
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सावन के पहले सोमवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूजाघर में दीपक जलाएं और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।
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सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें तिलक लगाएं, दूर्वा घास और मोदक का भोग अर्पित करें।
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इसके बाद भगवान शिव की पूजा आरंभ करें। शिवलिंग का गंगाजल या दूध से अभिषेक करें।
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महादेव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, चंदन, अक्षत, और सफेद फूल अर्पित करें।
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“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए शिव चालीसा या शिवाष्टक का पाठ करें।
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अंत में भगवान शिव और गणेश जी की आरती करें और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।