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हाथियों का आतंक: आधी रात घर में घुसे दो दंतैल, गांव में अफरा-तफरी

सरगुजा, मैनपाट…कण्डराजा गांव में बीती रात दो दंतैल हाथियों के एक ग्रामीण के घर में घुस आने से अफरा-तफरी मच गई। यह घटना रात करीब 11 बजे हुई, जब अधिकांश ग्रामीण सोने की तैयारी कर रहे थे। हाथियों की आहट और अफरातफरी की आवाज़ों से पूरा गांव जाग उठा और डर के माहौल में लोगों ने एक-दूसरे को सतर्क करना शुरू किया।

ग्रामीणों की नींद उड़ी

नर्मदापुर के पास एक रिसोर्ट में मौजूद रिपोर्टिंग टीम को रात के सन्नाटे में अचानक गांव से चीख-पुकार और शोर सुनाई दिया। जब टीम मौके पर पहुंची तो देखा कि वन विभाग की गाड़ी सायरन बजाती हुई गांव की ओर बढ़ रही थी। गांव वालों ने बताया कि बीते कुछ दिनों से हाथियों की आवाजाही आम हो चुकी है और लोग अब रातभर जागकर पहरा दे रहे हैं।

 मशक्कत के बाद बाहर निकले हाथी

वन विभाग की ‘गजराज वाहन’ टीम ने सर्च लाइट और सायरन की मदद से हाथियों को घर से बाहर निकालने की कोशिश शुरू की। स्थानीय युवक ट्रैक्टर की रोशनी और जलती लकड़ियों से हाथियों को डराने में लगे रहे। लगभग आधे घंटे की कोशिश के बाद दोनों हाथी घर से बाहर निकलकर जंगल की ओर भाग गए।

 मुआवजे की राह देखता परिवार

हाथी जिस घर में घुसे, वह परमेश्वर नामक ग्रामीण का था। उनका मिट्टी और खपरैल का मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। घर का आधा हिस्सा टूट गया और अंदर रखा सारा सामान बिखर गया। परमेश्वर ने बताया कि यह कोई पहली घटना नहीं है—पिछले साल भी हाथियों ने नुकसान पहुंचाया था, लेकिन मुआवजे की फाइल आज तक लंबित है। “आज की महंगाई में कच्चा मकान बनाना बहुत महंगा हो गया है,” उन्होंने दुख के साथ कहा।

संसाधनों की कमी और ग्रामीणों की मजबूरी

कण्डराजा के युवाओं ने बताया कि हाथियों के डर से अब वे रातभर जागते हैं। कई घरों पर सर्च लाइट लगाई गई है ताकि समय रहते हाथियों की मौजूदगी का पता चल सके। लेकिन वे मानते हैं कि संसाधन अब भी कम हैं। नर्मदापुर के एक रिसोर्ट में तैनात सुरक्षाकर्मी कुमार पासवान के मुताबिक मैनपाट के करीब 15 गांव हाथी प्रभावित हैं, पर सरकारी सहयोग नाममात्र है।

‘गजराज वाहन’ एक ही, स्टाफ कम

वन विभाग के एक सुरक्षाकर्मी ने बताया कि अंबिकापुर में सिर्फ एक ‘गजराज वाहन’ है, जिसे वर्तमान में मैनपाट में तैनात किया गया है। पहले यहां विशेषज्ञ सुरक्षाकर्मी थे, लेकिन अब आम सुरक्षाकर्मियों को ही यह जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है। प्रभावित गांवों की संख्या के मुकाबले स्टाफ बेहद कम है, लेकिन फिर भी वे हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। ‘गजराज वाहन’ के साथ एक ‘उड़नदस्ता टीम’ भी है, जो तत्काल मौके पर पहुंचने की कोशिश करती है।

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