Chhattisgarh

CG NEWS:विशेष शिक्षकों के संविलयन की मांग,मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मिले संघ के पदाधिकारी

CG NEWS:रायपुर । छत्तीसगढ़ प्रदेश स्पेशल एजुकेटर संघ ने दिव्यांग बच्चों के लिए लंबे समय से पुनीत कार्य कर रहे समावेशी समन्वयक, बीआरपी एवं स्पेशल एजुकेटर का वर्तमान योग्यता अनुरूप शान द्वारा स्वीकृत 848 पदों में परीक्षण का संविलियन की मांग की है। संघ के पदाधिकारियों ने  26 जून को मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय  से भेंट कर अपनी बातों को उनके समक्ष रखा है  ।जिस पर  मुख्यमंत्री  ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए जल्द ही सकारात्मक कार्यवाही की भरोसा दिलाया है।

छत्तीसगढ़ में दिव्यांग बच्चों के पढ़ने के लिए राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा रायपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में विकासखंड स्तर पर कुल 240 बीआरपी समावेशी समन्वयक एवं विशेष शिक्षक विगत 14 से 18 वर्षों से कार्यरत है । छत्तीसगढ़ में कुल दिव्यांग बच्चों की संख्या 76000 से भी अधिक है और सिर्फ इन्हीं 240 विशेष शिक्षकों की सहायता से इन सभी दिव्यांग बच्चों का अध्ययन अध्यापन एवं शासन की सुविधाओं को मुहैया कराया जाता है  ।राज्य परियोजना कार्यालय रायपुर से संचालित समग्र शिक्षा अंतर्गत इन सभी 76000 दिव्यांग बच्चों के लिए 240 विशेष शिक्षक की व्यवस्था शासन ने की है । जिनके माध्यम से इन सभी दिव्यांग बच्चों को समाज के मुख्य धारा से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है  ।

अभी वर्तमान में राज्य शासन ने नवीन नियमित विशेष शिक्षक के पदों की स्वीकृति दी है । यह स्वीकृति पूर्णता सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार की जा रही है । सर्वोच्च न्यायालय से शासन को प्राप्त निर्देशानुरूप कुल 848 विशेष शिक्षक के पद अस्तित्व में आ चुके हैं ।  इन पदों का राजपत्र में प्रकाशन छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा किया जा चुका है । इस ऐतिहासिक दौर में छत्तीसगढ़ प्रदेश स्पेशल एजुकेटर संघ के अध्यक्ष सौम्य देवांगन के द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है कि पूर्व में कार्य 240 विशेष शिक्षकों को शासन द्वारा स्वीकृत नए विशेष शिक्षक के पदों में संविलियन करने की कार्यवाही जल्द से जल्द की जाने की मांग की जा रही है । इस तारतम्य में संघ के पदाधिकारी गण लगातार  मुख्यमंत्री  एवं शासन स्तर के उच्च अधिकारियों से भेंट कर अपना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर रहे हैं ।शासन द्वारा स्वीकृत इन पदों में  सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार जो विगत समय में दिव्यांग बच्चों के लिए सेवाएं दे रहे हैं  ।उनके साथ स्वीकृत नए पदों में शासन द्वारा संवेदनशीलता का परिचय देते हुए नियमितीकरण या भर्ती में विशेष सुविधाएं या आरक्षण प्रदान करने की बात की गई है ।लेकिन संघ के अध्यक्ष सौम्य देवांगन के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार 240 में से लगभग 107 साथी ऐसे हैं जिन्होंने विगत 14 से 15 साल तक सेवा देते देते दिव्यांग बच्चों के लिए कार्य करते-करते उनकी उम्र 50 वर्ष से भी अधिक हो चुकी है ।

संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि उनके पास एकमात्र विकल्प यह है कि शासन प्रशासन उनकी मांगों को ध्यान में रखते हुए दिव्यांग बच्चों के लिए लंबे समय से पुनीत कार्य कर रहे समावेशी समन्वयक, बीआरपी एवं स्पेशल एजुकेटर का वर्तमान योग्यता अनुरूप शान द्वारा स्वीकृत 848 पदों में परीक्षण का संविलियन किया जाना चाहिए । सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार भी पूर्व में कार्यरत सभी विशेष शिक्षकों के लिए स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर संविलियन की कार्यवाही की अपेक्षाएं रखी गई है  ।

संघ के प्रांत अध्यक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार पुनः छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा 15 जुलाई को  सर्वोच्च न्यायालय को को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी  ।जिसमें नए पदों की भर्ती एवं पूर्व में कार्यरत कर्मचारियों के लिए राज्य शासन को संवेदनशीलता का परिचय देना होगा । वर्तमान में 76000 दिव्यांग बच्चों के लिए कार्य कर रहे इन विशेष शिक्षकों को शासन द्वारा सविलियन करने की अपेक्षाएं और निवेदन संघ के समस्त सदस्यों ने की है । इस क्रम में 26 जून को संघ के पदाधिकारीगणों द्वारा मुख्यमंत्री   विष्णु देव साय  से भेंट कर अपनी बातों को उनके समक्ष रखा है  ।जिस पर  मुख्यमंत्री  ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए जल्द ही सकारात्मक कार्यवाही की भरोसा दिलाया है।

संघ के पदाधिकारियों को  मुख्यमंत्री  से मिलने के बाद अपना भविष्य संवारता हुआ नजर आ रहा है  ।जिसके लिए पदाधिकारियों ने  मुख्यमंत्री  को हृदय से धन्यवाद देते हुए जल्द ही उनका आशीर्वाद प्राप्त होने की अपेक्षा की है। इस शुभकामनाओं के साथ दिव्यांग बच्चों के लिए पुनीत कार्य कर रहे सभी बीआरपी ,समावेशी समन्वयक एवं विशेष शिक्षक को इसका प्रतिफल जल्द ही मिलने की उम्मीद है। दिव्यांग बच्चों के लिए कार्य कर रहे छत्तीसगढ़ की सीमाओं से सटी हुई राज्यों में महाराष्ट्र, उड़ीसा, झारखंड जैसे राज्य वहां के विशेष शिक्षकों के लिए वहां की सरकार अपनी संवेदनशीलता का परिचय दे रहे हैं और सभी राज्यों में धीरे-धीरे पूर्व में कार्यरत सभी विशेष शिक्षकों के लिए बेहतर व्यवस्थाएं की जा रही है एवं उनका संविलियन किया जा रहा है।

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