Bilaspur

सजा में संशोधन..पांचो आरोपियों को 20 साल की सजा…हाईकोर्ट ने कहा..डीएनए मैच नही होना.. बचाने पर्याप्त कारण नहीं

हाईकोर्ट ने दिया ट्रायल कोर्ट को आदेश...एक लाख का जुर्माना

बिलासपुर–छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सूरजपुर जिले के बहुचर्चित गैंगरेप केस में पांच आरोपियों को आंशिक राहत देते हुए 20 साल का कैद का फरमान सुनाया है। पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण कोर्ट ने आरोपियों को पाक्सो, एससी/एसटी और आईटी एक्ट के तहत बरी किया है।

सूरजपुर में नाबालिग को ब्लैकमेल कर बार बार दुष्कर्म मामले में 5 आरोपियों को विशेष न्यायालय की सजा को संशोधित कर हाईकोर्ट ने 376 (डी) के तहत 20 साल कैद की सजा को यथावत रखा है। जानकारी देते चलें कि सामूहिक रेप का एक आरोपी अभी भी फरार है।

,  जानकारी देते चलें कि सूरजपुर में नाबालिग बच्ची के साथ ब्लैकमेल कर बार बार रेप की घटना में शामिल आरोपियों की विशेष ट्रायल कोर्ट में सुनवाई हुई। ट्रायल कोर्ट ने धारा 363/34 में 4 वर्ष, धारा 366/34 में 6 वर्ष, धारा 376 डी में 20 वर्ष, धारा 6 पाक्सो अधिनियम के तहत 20 वर्ष, एससी/एसटी एक्ट के तहत आजीवन कारावास और धारा 67 बी आईटी एक्ट में 5 वर्ष और एक लाख रुपये जुर्माना लगाया। 

ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर किया। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि  गर्भावस्था और बच्चे के जन्म से इस घटना की पुष्टि होती है कि सिर्फ वीडियो का न मिलना या डीएनए रिपोर्ट मैच न होना दोषियों को बचाने के लिए पर्याप्त कारण नहीं है।. कानून के मुताबिक, अगर समूह के एक सदस्य ने दुष्कर्म किया और अन्य लोग उसकी मंशा में शामिल रहे, तो सभी दोषी माने जाएंगे. इसलिए पांचों आरोपियों को गैंगरेप का दोषी पाया जाता है।

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